छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सरेंडर और गिरफ्तारी अभियान 2025 – पूरी जानकारी
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में राज्य सरकार और सुरक्षाबलों के लगातार प्रयासों से नक्सलियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। सरेंडर और गिरफ्तारी अभियान के तहत बड़ी संख्या में नक्सली हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। यह राज्य में शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
🔹 अभियान की शुरुआत कैसे हुई?
नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबे समय तक माओवादियों का दबदबा रहा। लेकिन सरकार की “लोन वर्राटू योजना” (घर वापसी योजना) और विशेष अभियान के तहत नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया गया। इस योजना में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, रोजगार और पुनर्वास की सुविधा दी जाती है।
🔹 हाल के सरेंडर और गिरफ्तारियां
- बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जिले में लगातार नक्सलियों का सरेंडर जारी है।
- 2025 में अब तक सैकड़ों नक्सलियों ने सरेंडर किया और कई कुख्यात नक्सली नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
- हाल ही में दंतेवाड़ा में 8 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिन पर लाखों का इनाम घोषित था।
🔹 सरकार की रणनीति
छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षाबलों ने दोहरी रणनीति अपनाई है –
- सुरक्षाबलों की तैनाती और लगातार अभियान से नक्सलियों पर दबाव बनाया जा रहा है।
- नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं ताकि स्थानीय लोग नक्सलियों का समर्थन न करें।
🔹 आत्मसमर्पण करने वालों को मिलने वाले लाभ
जो नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं उन्हें सरकार की ओर से कई सुविधाएं दी जाती हैं:
- 2 से 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता
- रोजगार और ट्रेनिंग
- घर और जमीन की सुविधा
- मुख्यधारा में लौटने और परिवार के साथ सुरक्षित जीवन
🔹 गिरफ्तारी अभियान
सरेंडर के साथ-साथ सुरक्षाबलों ने खुफिया तंत्र को मजबूत किया है। लगातार सर्च ऑपरेशन और स्पेशल टीम की कार्रवाई से बड़ी संख्या में नक्सली पकड़े जा रहे हैं। यह अभियान जंगलों से लेकर सीमावर्ती इलाकों तक चलाया जा रहा है।
🔹 सामाजिक प्रभाव
नक्सलियों के आत्मसमर्पण से समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। जहां पहले नक्सली संगठनों का खौफ था, अब वहां स्कूल, अस्पताल और रोजगार केंद्र खुल रहे हैं। युवाओं को शिक्षा और नौकरी के नए अवसर मिल रहे हैं।
🔹 आगे की चुनौतियाँ
हालांकि नक्सलवाद पर बड़ी हद तक नियंत्रण पाया गया है, लेकिन अभी भी जंगलों के कुछ इलाकों में उनकी सक्रियता बनी हुई है। ऐसे में सुरक्षाबलों और सरकार के सामने चुनौती है कि वे इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर सकें।
🔹 निष्कर्ष
नक्सलियों का सरेंडर और गिरफ्तारी अभियान छत्तीसगढ़ में शांति बहाली की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल हिंसा कम होगी बल्कि विकास का रास्ता भी खुलेगा। आने वाले समय में सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों से उम्मीद है कि नक्सलवाद की जड़ें पूरी तरह खत्म हो जाएंगी।
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