100 साल पुराना स्कूल संकट में – बालोद की शैक्षणिक विरासत खतरे में

100 साल पुराना स्कूल संकट में – बालोद की शैक्षणिक विरासत पर संकट
100 साल पुराना स्कूल संकट में – बालोद की शैक्षणिक विरासत खतरे में


छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित एक 100 वर्षों से अधिक पुराना शासकीय विद्यालय आज अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। यह विद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र रहा है, बल्कि इसकी दीवारें स्थानीय इतिहास की गवाह भी हैं। लेकिन आज यह ऐतिहासिक धरोहर अपनी पहचान और संरक्षण को लेकर संघर्ष कर रही है।

📜 विद्यालय का इतिहास

यह विद्यालय 1920 के दशक में स्थापित किया गया था, जब शिक्षा केवल अमीरों तक सीमित मानी जाती थी। इस स्कूल ने ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई के प्रति चेतना जागरूक की और हजारों बच्चों को शिक्षित किया। कई अधिकारी, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता यहीं से पढ़े हैं।

⚠️ वर्तमान हालात

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, यह विद्यालय अब जर्जर अवस्था में है। छत टपकती है, दीवारें दरक रही हैं और फर्नीचर टूट चुके हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब इसे किसी नए भवन में शिफ्ट करने की बात चल रही है, जिससे इस ऐतिहासिक इमारत का अस्तित्व खत्म हो सकता है

🗣️ स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासियों और पूर्व छात्रों का कहना है कि यह स्कूल केवल शिक्षा का स्थान नहीं है, बल्कि भावनाओं और इतिहास का प्रतीक है। लोगों ने इसे स्मारक या हेरिटेज स्कूल घोषित करने की मांग उठाई है।

"हमारे दादा–परदादा भी यहीं पढ़े हैं, इसे खत्म करना इतिहास मिटाने जैसा होगा।" – एक पूर्व छात्र

🏫 ऐसे स्कूल क्यों हैं ज़रूरी?

  • 🔹 ये स्कूल शिक्षा के ऐतिहासिक विकास को दर्शाते हैं।
  • 🔹 ग्रामीण बच्चों को प्रेरित करते हैं।
  • 🔹 पुरानी वास्तुकला और संस्कृति को सहेजते हैं।
  • 🔹 पर्यटन और शैक्षणिक रिसर्च के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

🛠️ क्या हो सकते हैं समाधान?

सरकार और प्रशासन को इस इमारत को बचाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • ✔️ संरक्षण कार्यों की शुरुआत – मरम्मत, रंग-रोगन, संरचनात्मक मजबूती।
  • ✔️ हेरिटेज स्टेटस – पुरातत्व विभाग से स्मारक मान्यता।
  • ✔️ स्थानीय स्तर पर फंडिंग या CSR स्कीम्स के माध्यम से मदद।
  • ✔️ डिजिटल आर्काइविंग – स्कूल के इतिहास को ऑनलाइन सहेजना।

🔚 निष्कर्ष

100 साल पुराने स्कूल सिर्फ ईंट और पत्थर से नहीं बने होते, वे हमारी सोच, विरासत और भविष्य का प्रतीक होते हैं। बालोद का यह स्कूल एक ऐसी ही अमूल्य धरोहर है, जिसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो हम इतिहास का एक ज़रूरी हिस्सा हमेशा के लिए खो देंगे।


📝 क्या आप इस स्कूल के पूर्व छात्र या स्थानीय निवासी हैं? नीचे कमेंट कर अपनी यादें और राय जरूर साझा करें।

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