Table of Contents
- परिचय
- संघर्ष विराम की वजह और प्रक्रिया
- DGMO की भूमिका और बातचीत
- सरकारी बयान और प्रतिक्रियाएँ
- आगे की बातचीत और रणनीति
- विश्लेषण: क्या यह स्थायी शांति है?
- निष्कर्ष
परिचय
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक बढ़े तनाव और सैन्य संघर्ष के बाद, दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम का ऐतिहासिक फैसला लिया। इस फैसले के पीछे कई कूटनीतिक प्रयास, DGMO स्तर की बातचीत और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता रही, जिसने दोनों देशों को सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए मजबूर किया।
संघर्ष विराम की वजह और प्रक्रिया
7 मई 2025 को भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत मिसाइल हमले के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। लगातार हवाई हमले और गोलीबारी के बाद, दोनों देशों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा। 10 मई को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने घोषणा की कि दोनों सेनाएं शाम 5 बजे से पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गई हैं।
DGMO की भूमिका और बातचीत
संघर्ष विराम के पीछे सबसे अहम भूमिका दोनों देशों के DGMO (Director General of Military Operations) की रही। पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को फोन किया, जिसके बाद सीधी बातचीत हुई और तत्काल प्रभाव से संघर्ष विराम लागू किया गया। इस दौरान हॉटलाइन में तकनीकी समस्या भी सामने आई, लेकिन दोनों पक्षों ने समाधान निकाल लिया।
सरकारी बयान और प्रतिक्रियाएँ
- भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख जारी रखेगा और शांति के लिए प्रतिबद्ध है।
- पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयास किया है, बिना अपनी संप्रभुता से समझौता किए।
- पाकिस्तान में जनता ने जश्न मनाया, जबकि भारत में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही।
आगे की बातचीत और रणनीति
दोनों देशों ने 12 मई को फिर से बातचीत करने का फैसला किया है, ताकि आगे की रणनीति और विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हो सके। साथ ही, पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को वाणिज्यिक उड़ानों के लिए खोल दिया और सैन्य हॉटलाइन फिर से सक्रिय हो गई।
विश्लेषण: क्या यह स्थायी शांति है?
संघर्ष विराम भले ही तत्काल प्रभावी रहा, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थायी शांति के लिए दोनों देशों को लगातार संवाद और विश्वास बहाली के कदम उठाने होंगे। भारत का आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख और पाकिस्तान की संप्रभुता की चिंता, दोनों देशों के लिए अहम मुद्दे बने रहेंगे।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम 2025 एक बड़ा कूटनीतिक कदम है, जिसमें DGMO स्तर की बातचीत ने निर्णायक भूमिका निभाई। अब निगाहें 12 मई की बैठक और आगे की शांति प्रक्रिया पर हैं।
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