तुर्की क्यों करता है पाकिस्तान का खुलकर समर्थन? जानिए भारत के साथ रिश्तों की हकीकत


तुर्की क्यों करता है पाकिस्तान का खुलकर समर्थन


🧭 Table of Contents

1. भारत-पाक सीज़फायर और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर की घोषणा हुई। इस दौरान जब ज़्यादातर देश तटस्थ बने रहे, तुर्की ने पाकिस्तान का और इसराइल ने भारत का खुलकर समर्थन किया। सीज़फायर के बाद तुर्की ने शांति का स्वागत किया और बातचीत का सुझाव दिया।

2. तुर्की की पाकिस्तान से नज़दीकी के कारण

तुर्की और पाकिस्तान के संबंध धार्मिक और वैचारिक आधार पर मज़बूत हैं। दोनों देश शीत युद्ध के समय से अमेरिका के साझेदार रहे हैं। पाकिस्तानी जनरलों और तुर्की के सैन्य अधिकारियों के निजी रिश्ते भी पुराने हैं। तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन पाकिस्तान को "भाई" मानते हैं।

3. इस्लामी एकता और रक्षा सहयोग

तुर्की और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग तेज़ी से बढ़ा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्की के ड्रोन्स का उपयोग किया। वहीं तुर्की के युद्धपोत और विमान हाल ही में पाकिस्तान में देखे गए। यह सब धार्मिक एकता के साथ-साथ सामरिक साझेदारी का हिस्सा माना जा रहा है।


इसे भी पढ़े;- भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम लाइव अपडेट 2025

यह भी पढ़ें:-  भारत-पाकिस्तान तनाव: 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बड़ा अपडेट


4. अर्दोआन की नीतियां और कश्मीर मुद्दा

अर्दोआन खुद को इस्लामी नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते रहते हैं और इसे इस्लामी दुनिया का मसला बताते हैं। इससे भारत और तुर्की के बीच मतभेद और बढ़ते हैं।

5. भारत-तुर्की संबंधों की स्थिति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक तुर्की का दौरा नहीं किया, जो दोनों देशों के बीच असहज संबंधों का संकेत है। भारत की नीतियां मुख्य रूप से सऊदी अरब, UAE, क़तर और इसराइल जैसे देशों के साथ मजबूत हैं, जबकि तुर्की के साथ दूरी बनी हुई है।

6. तुर्की-पाक गठजोड़ का असर भारत पर

विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की-पाकिस्तान की नजदीकी भारत के लिए कोई बड़ा झटका नहीं है। भारत की मध्य-पूर्व में गहरी रणनीतिक उपस्थिति है, जो तुर्की की सीमित भूमिका को संतुलित करती है।

7. OIC की भूमिका और तुर्की का मकसद

OIC ने हालात पर चिंता तो जताई, लेकिन कश्मीर को विवादित मुद्दा मानते हुए पाकिस्तान के पक्ष में रुख दिखाया। तुर्की OIC से अलग एक नया इस्लामी गठबंधन बनाना चाहता था, लेकिन सऊदी अरब की वजह से पाकिस्तान पीछे हट गया।

8. ऐतिहासिक जुड़ाव या गलत इतिहास?

2020 में इमरान खान ने तुर्कों को भारत पर 600 साल राज करने वाला बताया था। इतिहासकारों ने इसे गलत बताया और कहा कि इमरान खान धार्मिक नजरिए से इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं।


तुर्की और पाकिस्तान की दोस्ती विचारधारा, धर्म और रणनीति के मेल से बनी है। लेकिन भारत की नीति अपने हितों के आधार पर तय होती है। तुर्की की मौजूदा स्थिति और उसकी पाकिस्तान के साथ बढ़ती निकटता भारत की विदेश नीति के लिए सतर्कता का विषय है, लेकिन कोई सीधा संकट नहीं।

Post a Comment

0 Comments