वो रहस्यमयी गाँव: जहाँ रात होते ही सब कुछ बदल जाता था...
भारत के उत्तर-पूर्वी इलाके में बसे एक छोटे से गाँव का नाम था कर्णपुर। यह गाँव बाहर से बिल्कुल आम गाँव जैसा दिखता था — हरियाली से घिरा हुआ, मिट्टी के घर, और खेतों में काम करते किसान। लेकिन इस गाँव के बारे में एक रहस्य था जो पीढ़ियों से चला आ रहा था।
गाँव का अजीब नियम
कर्णपुर में सूरज डूबने के बाद किसी को भी घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। जैसे ही शाम के 6 बजते, गाँव के मंदिर की घंटी बजती और सभी दरवाजे बंद हो जाते। बच्चों को सख्त हिदायत थी कि वे खिड़की से भी बाहर न झाँकें।
नई पीढ़ी की जिज्ञासा
एक दिन गाँव में शहर से पढ़ाई करने आया अर्जुन नाम का युवक अपने दादा-दादी से मिलने आया। अर्जुन को यह नियम बड़ा अजीब लगा। उसने तय किया कि वह इस रहस्य का पता लगाएगा।
अर्जुन ने अगले दिन दिनभर गाँव के लोगों से बात की, लेकिन सभी लोग बस एक ही बात दोहराते — "रात में बाहर मत जाना, कुछ चीजें अनदेखी ही अच्छी होती हैं।"
रात का अनुभव
उस रात अर्जुन ने सबकी बातों को नजरअंदाज़ करते हुए तय किया कि वह देखेगा आखिर होता क्या है। जैसे ही रात के 12 बजे, उसने धीरे से दरवाज़ा खोला और बाहर निकल पड़ा।
गाँव में अजीब सी नीरवता थी। हवा में एक अलग सी गंध थी। अचानक उसे मंदिर की ओर से तेज़ रौशनी आती दिखाई दी। उसने झाड़ियों में छुप कर देखा — वहाँ कुछ आकृतियाँ थीं जो हवा में तैर रही थीं।
गुप्त सत्य
अर्जुन को पता चला कि यह गाँव दरअसल एक पुराने श्राप के कारण रात को एक अलग ही रूप ले लेता था। सदियों पहले यहाँ एक संत ने शाप दिया था कि सूर्यास्त के बाद आत्माएँ इस भूमि पर विचरण करेंगी।
इसलिए गाँववालों ने यह नियम बना लिया था कि रात में कोई भी बाहर नहीं निकलेगा।
अंत और संदेश
अर्जुन ने अगले दिन गाँव की पंचायत को सब बताया। उसने सुझाव दिया कि इस रहस्य को विज्ञान की मदद से समझने की कोशिश करनी चाहिए। धीरे-धीरे कुछ शोधकर्ताओं ने गाँव का अध्ययन शुरू किया और पाया कि वहाँ की मिट्टी और वातावरण में कुछ खास प्रकार की जैविक गैसें थीं जो रात में सक्रिय हो जाती थीं और भ्रम पैदा करती थीं।
समय के साथ गाँव से डर खत्म हुआ, और कर्णपुर अब एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है।
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