हाइड्रोजेल से वीडियो गेम खेलना: विज्ञान की नई उपलब्धि

 

हाइड्रोजेल से वीडियो गेम खेलना: विज्ञान की नई उपलब्धि
हाइड्रोजेल से वीडियो गेम खेलना: विज्ञान की नई उपलब्धि


हाइड्रोजेल क्या है?

हाइड्रोजेल एक सॉफ्ट, जेल जैसा पदार्थ है जो पानी और पॉलिमर से बनता है। यह इलेक्ट्रोएक्टिव पॉलीमर हाइड्रोजेल (EAP Hydrogel) विद्युत उत्तेजना पर प्रतिक्रिया करता है और अपने भीतर आयनों का वितरण बदल सकता है। इसी वजह से वैज्ञानिक इसे स्मार्ट मटेरियल्स की श्रेणी में रखते हैं।

वैज्ञानिकों का नया प्रयोग

रीडिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पहली बार यह दिखाया कि एक गैर-जीवित हाइड्रोजेल को इलेक्ट्रोड प्लेटों के बीच रखकर वीडियो गेम 'पोंग' खेलने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। यह प्रयोग Cell Reports Physical Science जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

प्रयोग की प्रक्रिया: कैसे खेला गया पोंग?

  • हाइड्रोजेल को इलेक्ट्रोड प्लेटों के बीच रखा गया।
  • इसे एक वर्चुअल गेम एनवायरनमेंट से जोड़ा गया, जिसमें पोंग गेम चल रहा था।
  • गेंद की स्थिति के अनुसार हाइड्रोजेल को इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजे गए।
  • हाइड्रोजेल के भीतर आयनों का वितरण बदलने से "पैडल" की पोजीशन तय होती थी।
  • जैसे-जैसे गेम आगे बढ़ा, हाइड्रोजेल ने बार-बार ट्रायल के बाद गेंद को ज्यादा सटीकता से रिफ्लेक्ट करना शुरू किया।
  • शुरुआत में हाइड्रोजेल का प्रदर्शन अव्यवस्थित था, लेकिन 20 मिनट के अभ्यास के बाद उसकी सटीकता लगभग 10% तक बढ़ गई और गेमप्ले की अवधि भी लंबी हो गई।

हाइड्रोजेल की "मेमोरी" और सीखने की क्षमता

वैज्ञानिकों ने पाया कि हाइड्रोजेल के भीतर आयनों का पुनर्वितरण उसकी पिछली गतिविधि पर निर्भर करता है। जब हाइड्रोजेल में इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन दी जाती है, तो आयन सबसे ज्यादा उत्तेजित क्षेत्रों में जमा हो जाते हैं। यह प्रक्रिया किसी जीवित मांसपेशी की 'मेमोरी' जैसी है, जिसमें पिछली गतिविधि का असर अगली प्रतिक्रिया पर पड़ता है। इसी कारण हाइड्रोजेल ने अभ्यास के साथ अपने प्रदर्शन में सुधार किया।

इंजीनियर विन्सेंट स्ट्रॉन्ग के अनुसार, "हाइड्रोजेल का डीस्वेलिंग रेट (सिकुड़ना) उसके स्वेलिंग (फैलने) की तुलना में ज्यादा समय लेता है, जिससे वह अपनी पिछली स्थिति को 'याद' रखता है।"

पिछला शोध: ब्रेन सेल्स से पोंग खेलना

दो साल पहले, वैज्ञानिकों ने ब्रेन सेल्स (न्यूरोसाइट्स) से युक्त घोल को पोंग खेलने के लिए प्रशिक्षित किया था। उस प्रयोग में जीवित कोशिकाओं ने सिग्नल्स के आधार पर गेम को कंट्रोल किया था। नया प्रयोग इस बात का प्रमाण है कि अब बिना किसी जीवित सेल के भी 'सीखने' जैसी प्रक्रिया संभव है।

भविष्य की संभावनाएँ

यह खोज तंत्रिका नेटवर्क (Neural Networks) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए नई राह खोल सकती है। अगर हाइड्रोजेल जैसे स्मार्ट मटेरियल्स सीखने और मेमोरी जैसी क्षमताएँ दिखा सकते हैं, तो भविष्य में रोबोटिक्स, स्मार्ट सेंसर्स और बायोमेडिकल उपकरणों में इनका उपयोग संभव है। इससे मशीनों को बिना जटिल सॉफ्टवेयर के, केवल भौतिक बदलावों से 'सीखने' की क्षमता मिल सकती है।


हाइड्रोजेल से वीडियो गेम खेलना विज्ञान की दुनिया में एक अनोखी उपलब्धि है। यह प्रयोग दिखाता है कि कैसे गैर-जीवित पदार्थ भी सीखने और अनुभव को संचित करने की क्षमता दिखा सकते हैं। आने वाले समय में ऐसे स्मार्ट मटेरियल्स तकनीकी क्रांति ला सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: क्या हाइड्रोजेल में सचमुच चेतना होती है?

नहीं, हाइड्रोजेल में चेतना नहीं होती। यह केवल अपने भौतिक गुणों के कारण अनुभव को 'स्मृति' के रूप में संचित करता है।

Q2: क्या भविष्य में हाइड्रोजेल का उपयोग रोबोटिक्स में हो सकता है?

जी हाँ, वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइड्रोजेल जैसे स्मार्ट मटेरियल्स भविष्य में रोबोटिक्स और स्मार्ट मशीनों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।

Q3: क्या यह तकनीक इंसानों के लिए सुरक्षित है?

फिलहाल यह शोध प्रयोगशाला स्तर पर है। भविष्य में इसके सुरक्षित और व्यावहारिक उपयोग के लिए और रिसर्च की आवश्यकता है।


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