बस्तर के गांव में आज भी निभाई जाती है 200 साल पुरानी परंपरा | जानिए इसका रहस्य
तारीख: 07 मई 2025 | लेखक: Daily Viral News Dalli
क्या आप जानते हैं कि भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में एक ऐसा गांव है, जहाँ आज भी 200 साल पुरानी परंपरा पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जाती है? आधुनिकता की दौड़ में जहां गांवों की संस्कृति खोती जा रही है, वहीं यह गांव आज भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है।
🏞️ बस्तर: संस्कृति और परंपराओं का गढ़
बस्तर सिर्फ जंगलों और आदिवासियों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यहां की लोक संस्कृति, रहस्यपूर्ण रीति-रिवाज और त्योहार देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करते हैं। यहां की परंपराएं पीढ़ियों से जीवित हैं और इन्हें निभाने में गांववाले गर्व महसूस करते हैं।
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🧓 क्या है यह 200 साल पुरानी परंपरा?
यह परंपरा 'देव जागरण उत्सव' से जुड़ी हुई है, जिसमें गांव के लोग रातभर पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य करते हैं और गांव की देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। यह आयोजन गांव की एकता और श्रद्धा का प्रतीक है।
🔍 इतिहास में झांकें
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा उस समय शुरू हुई जब गांव में अकाल और महामारी फैली थी। तब गांव के बुजुर्गों ने देवी की आराधना की और संकट टला। तभी से यह परंपरा हर साल निभाई जा रही है।
📷 आज की पीढ़ी और परंपरा
इस डिजिटल युग में भी इस गांव के युवा अपनी परंपराओं से गहराई से जुड़े हुए हैं। स्कूल और कॉलेज के छात्र भी इस परंपरा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि युवाओं को सांस्कृतिक रूप से जोड़ती भी है।
🗣️ गांववालों की राय
हमने जो सीखा है, वही आगे की पीढ़ी को दे रहे हैं। हमारी परंपरा ही हमारी पहचान है। – गांव के बुजुर्ग
📈 पर्यटन की दृष्टि से संभावनाएं
ऐसी सांस्कृतिक परंपराएं पर्यटन और स्थानीय पहचान को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती हैं। यदि सरकार और समाज मिलकर इसे संरक्षित करें, तो बस्तर को एक प्रमुख सांस्कृतिक हॉटस्पॉट बनाया जा सकता है।
🌐 आप क्या कर सकते हैं?
- ऐसे गांवों का दौरा करें और वहां की परंपरा को सम्मान दें।
- इन अनोखी परंपराओं को सोशल मीडिया पर साझा करें।
- अपने बच्चों को भारत की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराएं।
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बस्तर का यह गांव हमें सिखाता है कि आधुनिकता के साथ परंपरा को भी जिंदा रखा जा सकता है। यह 200 साल पुरानी परंपरा एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे हमें गर्व से आगे बढ़ाना चाहिए।
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